रघुबीर लायब्रेरी और अनुसंधान संस्थान

निरन्तर समृद्ध हो रहे एक ऐसे ग्रन्थागार के बारे में विश्व को बहुत कम जानकारी है, जिसके कारण कम से कम ऐतिहासिक अध्ययन के क्षेत्र में तो अवश्य ही मालवा प्रदेश का गौरवपूर्ण भविष्य सम्भव हो गया है । सीतामऊ में रघुबीर लायब्रेरी ही यह ग्रन्थागार है।
श्री रघुबीर लायब्रेरी संस्थान की प्रमुख इकाई है । इस ग्रन्थागार की स्थापना सन् 1936 ई0 के लगभग हुई थी और इन पिछले 56 से भी अधिक वर्षों से इसका निरन्तर विकास होता जा रहा है । प्रारम्भिक बीस वर्षों में इस संबंधी आचार्य यदुनाथ सरकार के निर्देशों और सुझावों का पूर्णतया पालन किया गया । मध्यकालीन भारतीय इतिहास पर, विशेषतया ईसा की 17 वीं और 18 वीं शताब्दियों कालीन इतिहास पर कार्य कर रहे शोधकर्ताओं के लिये इस ग्रंथागार की उपयोगिता तथा उसके विशिष्ट महत्त्व को भारतीय इतिहासकारों में सर्वमान्य वरिष्ठ आचार्य यदुनाथ सरकार के साथ ही प्रायः सब ही सुप्रसिद्ध इतिहासकारों ने पूर्णतया स्वीकार किया है । इस ग्रन्थागार की गरिमा तथा उसके विशेष महत्त्व के बारे में आचार्य यदुनाथ सरकार और कुछ अन्य सर्वमान्य प्रसिद्ध इतिहासकारों के विचारों के कुछ उद्धरण आगे दिये जा रहे हैं ।

रघुबीर लायब्रेरी

प्रशिक्षण एवं निर्देशन

अध्ययन कक्ष

प्रवेश शुल्क

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